परम विवेक महाराज जनक के कुल के अनुरूप ही तुमने समस्या का समाधान उपस्थित कर दिया।
3.
परम विवेक का अवलम्बन कर वैराग्य और अभ्यास से आपत्तिरूप यह भीषण संसार नदी पार करनी चाहिए।
4.
या सुस्वादु है, कि यह पोस्ट रह सकते हैं मतलब है, लेकिन हो सकता है व्यवस्थापक अभी भी परम विवेक है.
5.
जो पुरुष दैव को ही निश्चय कर रहे हैं पर शास्त्रविरुद्ध कर्म करते हैं और संकल्प विकल्प में तत्पर होते हैं वे मन्द बुद्धि हैं उनके मार्ग की ओर तुम न जाना उनकी बुद्धि नाश करती है, तुम परम विवेक का आश्रय करो और अपने आपको आपसे देखो ।